हज सब्सिडी खत्म करने का क्या है FDI कनेक्शन, क्या अंदर का खेल कुछ और है

नई दिल्ली : मोदी सरकार ने मुसलमानों को हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी ख़त्म करने का फ़ैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सब्सिडी चरणबद्ध तरीके से बंद करने का आदेश दिया था. सरकार ने इस चरण का कदम वक्त से पहले उठा दिया है. सरकार का ये कहना है कि ये फ़ैसला अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण किए बगैर उनके सशक्तीकरण के एजेंडे के तहत लिया गया है. इस फैसले के बाद कई तरह की बहस शुरू हो गई है.

जैसा अक्सर होता है सरकार जो भी करती है उसका मकसद सीधा नहीं होता. वो घुमा फिराकर कहीं और अपना फायदा देखती है. इसलिए इस फैसले पर भी कई तरह की राय और विश्लेषण सामने आ रहे हैं. हम आपके सामने लेकर आ रहे हैं वो सभी अंदर की बातें.

अंदर की बात नंबर एक

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सब्सिडी खत्म करने के बहाने घपले की भूमिका बनाई जा रही है. एयर इंडिया के शेयर औने पौने दाम में बेचने की साजिश हो सकती है. इन लोगो का कहना है कि सरकार ज़रूर एयर इंडिया के शेयर सस्ते की साजिश कर रही है. हाल ही में उसने एयर इंडिया में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई है. अब विदेशी कंपनियां एयर इंडिया में 49 फीसदी निवेश कर सकती हैं. हज सब्सिडी बंद करने से एयर इंडिया को भारी नुकसान होगा जाहिर बात है इसका शेयर कम होगा जिसका फायदा निवेशकों को मिलेगा. सीधे सीधे 700 करोड़ रुपये की सब्सिडी एयर इंडिया को मिला करती थी. चूंकि एयर इंडिया मे सब्सिडी पर यात्रा होती थी इसलिए उसे मुसाफिर भी ज्यादा मिलते थे. अब वो कारोबार भी कमजोर पड़ेगा.

अंदर की बात नंबर दो

सब्सिडी के कारण अक्सर मुसलमान एयर इंडिया में सफर किया करते थे. इसके कारण उन्हें सेवाओं से समझौता करना होता था. अब उनके पास बेहतर अंतर्राष्ट्रीय विकल्प होंगे. जाहिर बात है हज यात्री विदेशी खास तौर पर अरब देशों की विमान सेवाओं से यात्रा करेंगे. हाजियो की संख्या ज्यादा होने के कारण ये कंपिनियां ऑफर भी देंगी जिससे मुसलमानों की यात्रा वर्तमान से सस्ती भी हो सकती है.

अंदर की बात नंबर तीन

हज यात्रियों को मिलने वाली कुल सब्सिडी 25हज़ार रुपये होती थी. जबकि यात्रा पर कुल खर्च 2 लाख रुपये के आसपास होता था. इस बचत के चक्कर में उन्हें बहुत कुछ खोना होता था. क्योंकि ये पैसा एयर इंडिया को दिया जाता था और एयर इंडिया यात्रियों से मनमाने तरीके से पेश आती थी

अंदर की बात नंबर चार

मुसलमान इस फैसले का हमेशा विरोध करते थे. उन्हें लगता था कुल 25 हज़ार की सब्सिडी में फायदा 10 हज़ार का ही होता था. लेकिन सब्सिडी को बहाना बनाकर पूरी कौम का उत्पीड़न होता था.

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने हज सब्सिडी ख़त्म करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि सद्भावना दिखलाने के नाम पर भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों को भेजने की परंपरा भी बंद की जानी चाहिए.

पत्रकार शुजात बुखारी ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि ये फैसला बहुत पहले कर लिया जाना चाहिए. हज किसी व्यक्ति का निजी कर्तव्य है और इसे पूरा करने के लिए सब्सिडी की ज़रूरत नहीं है.

अंदर की बात नंबर पांच

इसके काफी पहले से ही हज सब्सिडी को खत्म किए जाने की मांग उठती रही है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में केंद्र सरकार को हज सब्सिडी खत्म करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि सरकार को इसे 2022 तक पूरी तक खत्म कर देना चाहिए. इसे लेकर केंद्र सरकार ने भी 2018 से हज सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह खत्म किए जाने की बात कही थी.

AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी हज सब्सिडी खत्म करने की मांग कर चुके हैं. उन्होंने पिछले साल ही बयान दिया था कि हज सब्सिडी को खत्म कर उसका पैसा मुस्लिम गर्ल्स एजुकेशन पर लगना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि इससे उनकी तरक्की होगी और जिसको भी हज जाना होगा वह जरूर जाएगा. हज सब्सिडी देने का कोई फायदा नहीं है. चूंकि इससे सिर्फ एयरलाइंस को फायदा होता है और दूसरे लोगों को फायदा होता है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से वह इस बात को संसद में उठा रहे हैं.

अंदर की बात नंबर छह

आजतक डॉट इन ने (2016) में की गई हज यात्रा के खर्च की ब्यौरा देकर ये समझाने की कोशिश की है कि मुसलमानों के लिए सब्सिडी ऊंट के मुंह में जीरा थी. वेबसाइट ने खर्च का पूरा हिसाब भी दिया ह.

ग्रीन कैटेगरी

मक्का में रुकने का खर्च 81,000 रुपये

मदीना में रुकने का खर्च 9,000 रुपये

एयरलाइन्स का टिकट 45,000 रुपये

अन्य खर्च 76,320 रुपये

कुल खर्च 21,1320 रुपये

अजीजिया कैटेगरी

मक्का में रुकने का खर्च 47,340 रुपये

मदीना में रुकने का खर्च 9,000 रुपये

एयरलाइन्स का टिकट 45,000 रुपये

अन्य खर्च 76,320 रुपये

कुल खर्च 17,7660 रुपये

मुस्लिम संगठन ऑल इंडिया मजलिसे मशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद ने बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय से कहा, “मुसलमानों की तकरीबन 25 सालों से ये मांग रही है कि हज सब्सिडी खत्म होनी चाहिए. इस मांग की वजह यही थी कि ये सब्सिडी मुसलमानों को नहीं मिलती थी बल्कि एयर इंडिया को मिलती थी. एयर इंडिया के नाम पर मिलने वाली सब्सिडी का पूरा बोझ और गुनहगारी मुसलमानों के सिर पर जाती थी. इसके नाम पर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुसलमानों को बदनाम करती थी.”