अब फर्जी खबरों पर लगाम लगाएगा फेसबुक, आसान नहीं रहेगा अफवाह फैलाना, जानिए कैसे

नई दिल्ली:  विश्व की सबसे बड़ी सोशल साइट फेसबुक, अपने यूजर्स को संभावित गलत खबरों की पहचान करने का मौका देगी. जिस भी खबर के फर्जी होने का अंदेशा होगा उसे एक तीसरी पार्टी के पास भेजा जाएगा जो उसके तथ्यों की जांच करेगी. जांच में अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उसे ऩ्यूजफीड में विवादित कह कर पेश किया जाएगा.

फेसबुक ने फेक न्यूज फीचर पर कदम बढ़ाते हुए अमेरिका में सबसे पहले इसके परीक्षण की घोषणा की थी. कंपनी ने कहा कि दिसंबर में फेसबुक ने फर्जी खबर की चुनौती से निपटने के लिए उपाय करने की घोषणा की थी. उसी के तहत यह कदम उठाया जा रहा है.

पिछले कुछ समय से फेसबुक को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. कुछ यूजर्स लगातार ऐसा कहते आए हैं कि इन मनगढ़ंत खबरों ने अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव पर असर डाला है. जर्मनी में इस साल संसदीय चुनाव होने हैं और ऐसी खबरें देश में चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं. इस पर सरकारी अधिकारियों ने  चिंता जताई थी.

विश्व की लगभग आधी आबादी तक इंटरनेट पहुंच चुका है और इनमें से कम से कम दो-तिहाई लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. 5 से 10 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ने माना है कि वे चाहकर भी सोशल मीडिया पर बिताया जाने वाला अपना समय कम नहीं कर पाते. इनके दिमाग के स्कैन से मस्तिष्क के उस हिस्से में गड़बड़ दिखती है, जहां ड्रग्स लेने वालों के दिमाग में दिखती है.

पिछले हफ्ते सोशल न्यूज साइट बजफीड ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि फेसबुक पेजों पर जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को लेकर कई फर्जी खबरें आ रही हैं.

जर्मनी के न्याय मंत्री हाइको माज फेसबुक पर आने वाली फर्जी खबरों को लेकर चेतावनी देते रहे हैं. साथ ही फेसबुक से देश के मानहानि कानूनों का सम्मान करने के लिए कहा गया है जो अमेरिका के मुकाबले यहां अधिक सख्त हैं.

अब इस नए फीचर के तहत जर्मनी में यूजर्स के पास यह मौका होगा कि वह किसी खबर को अन्य किसी को पोस्ट करने से पहले उस पर फर्जी खबर का चिन्ह लगा सकते हैं.

फेसबुक ऐसी संभावित खबरों को जांच के लिए जर्मनी के खोजी पत्रकारों की गैर लाभकारी संस्था को भेजेगा जो तथ्यों की पड़ताल करेगी. फेसबुक पहले ही अमेरिका में तथ्यों की जांच के लिए इस प्रणाली का उपयोग कर रही है. तथ्यों की जांच करने के लिए नियमों पर सहमत होना होगा. वर्तमान में कई देशों के समाचार संगठनों सहित 43 संस्थाओं ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं.

जर्मनी ने यह साफ किया है कि वह उन वेबसाइटों को दंडित करने पर भी विचार कर रहा है जो प्रकाशकों और पाठकों को गुमराह कर रही हैं. courtsey-DW.de