प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक साथ एक ही दिन में दो बड़े झटके लगे हैं. अपनी शान में रहने वाले मोदी को पहली बार दो मामलों में मुंह की खानी पड़ सकती है. तीसरी बुरी खबर कल आई थी जब सूचना आयुक्त ने दिल्ली विश्वविद्यालय को आदेश दिया था कि वो मोदी की डिग्री की पूरी जानकारी आरटीआई में मुहैया कराए. कल की खबर हम आपको दे ही चुकी हैं. जानिए आज की दो बुरी खबरें…
1. देश भर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाखों पोस्टर एक झटके में हटाने का आदेश आने वाला है. इन पोस्टरों में मोदी नोटबंदी के फायदे गिनाते नजर आ रहे हैं. दूसरी जगहों के साथ साथ ये पोस्टर भारत भर में हर पेट्रोलपंप पर लगाए गए हैं.
कांग्रेस ने सोमवार को चुनाव आयोग से पांच राज्यों में पीएम नरेंद्र मोदी के पोस्टर हटाए जाने की मांग की. ये मांग होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर की गई. कांग्रेस सचिव और कानून एवं मानवाधिकार विभाग के प्रमुख के.सी. मित्तल ने चुनाव आयोग को लिखी शिकायत में इसे लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
कांग्रेस की शिकायत में कहा गया है कि पांच राज्यों विधानसभा चुनाव से पहले, पेट्रोल पंपों समेत सभी सार्वजनिक स्थलों पर लगे सरकारी पोस्टर्स से नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाई जाए. कांग्रेस ने तेल कंपनियों द्वारा घरेलू गैस वितरण पहल के पोस्टर्स में मोदी की तस्वीर की मौजूदगी पर रोष जाहिर किया है.
मित्तल ने कहा कि चुनाव आयोग को ऐसे पोस्टर हटाने का आदेश देना चाहिए क्योंकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में होने वाली चुनावों के चलते लगी आदर्श आचार संहिता के दौरान इसकी इजाजत नहीं है.
दूसरी खबर और भी ज्यादा अहम है.
हमेशा एटीट्यूट में रहने वाले मोदी को हो सकता है कि लोक लेखा समिति (पीएसी) के सामने पेश होना पड़े, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर को कड़ा नोटिस देने के बाद पीएसी मोदी को भी तलब कर सकती है. ऐसा करने के लिए समिति पूरी तरह तैयार है बशर्ते आरबीआई का जवाब संतोषजनक न हो.
पीएसी ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को 20 जनवरी 2017 को उसके समक्ष पेश होने को कहा है. कमिटी ने यह साफ करने को कहा है कि नोटबंदी का फैसला कैसे लिया गया और इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा.
पटेल को इस संबंध में 10 सवाल भेजे गए हैं, जिनके जरिए फैसला लेने में केंद्रीय बैंक की भूमिका, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और आरबीआई गवर्नर के रेगुलेशंस में पिछले दो महीनों में आए बदलाव पर जानकारी मांगी गई है.
नोटबंदी के पास पैदा हुई नकदी की समस्या कुछ हद तक कम जरूर हुई है, मगर अभी भी पर्याप्त मात्रा में नए नोटों की सप्लाई नहीं हो पा रही है और अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी वृद्धि दर में कमी की आशंका जताई है.
कमिटी के अध्यक्ष केवी थॉमस ने कहा, ”समिति को मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बुलाने का अधिकार है. लेकिन वह 20 जनवरी की बैठक के नतीजे पर निर्भर करेगा. हम पीएम को नोटबंदी के मुद्दे पर बुला सकते हैं अगर सदस्य एकमत से यह फैसला लें.
” थॉमस ने यह भी कहा कि जब वह नोटबंदी के बाद पीएम से मिले तो ”उन्होंने कहा कि दिसंबर अंत तक 50 दिन में हालात सामान्य हो जाएंगे, मगर ऐसा लगता नहीं.” आरबीआई गवर्नर को विपक्षी दलों के कोप का भाजन बननना पड़ा है क्योंकि पर्याप्त नकदी उपलब्ध नहीं हो सकी और बैंकों से जमा निकालने पर भी तरह-तरह की पाबंदियां हैं.