नोटबंदी से भारतीय अर्थ व्यवस्था को झटका, जानिए कैसे हो रहा है नुकसान


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नई दिल्ली: नोटबंदी के एक झटका देने वाले फैसले के कारण भारत की अर्थ व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है.इस फैसले का नतीजा फैसले से भी ज्यादा निराशा देने वाला है.नोटबंदी के बाद ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.4 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है. रेटिंग फर्म ने कहा है कि नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधियों में गतिरोध आएगा.

एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले से पैदा हुए कैश के संकट का असर अक्तूबर-दिसंबर तिमाही की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा. सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की और 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया. इस तरह से लगभग 86 फीसदी करंसी एक साथ ही चलन से बाहर हो गई.

फिच ने अपनी रिपोर्ट ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य:नवंबर’ में कहा है कि 86 फीसदी बैंक नोटों को चलन से बाहर करने के कदम के कारण आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान आया है. इसे देखते हुए भारतीय वृद्धि दर अनुमान में कमी की गई है.

इस अमेरिकी एजेंसी ने 2017-18 और 2018-19 के लिए भी अपने वृद्धि दर अनुमान को संशोधित कर क्रमश: 7.7% और 8% कर दिया है. इसके अनुसार, ढांचागत सुधार अजेंडे को एक-एक कर पूरा करने से ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद है. खर्च करने योग्य आय और सरकारी कर्मचारियों के वेतन में लगभग 24 फीसदी बढ़ोतरी से भी इसे बल मिलेगा.

नोटबंदी के बारे में इसमें कहा गया है कि ग्राहकों के पास खरीदारी के लिए कैश नहीं है. सप्लाइ चेन के बाधित होने और किसानों को खाद, बीज खरीदने में दिक्कतों की खबर है. इसमें कहा गया है, सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि नोटबंदी एक ही बार की जा सकती है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले अपनी संपत्ति को छुपाने के लिए नए नोट अन्य विकल्पों का इस्तेमाल कर सकेंगे.