दुर्गा का रूप थीं इंदिरा, विजय का ऐसा रिकॉर्ड बनाया कि अमेरिका भी न बना सका

दुनिया में कभी ऐसा नहीं हुआ. न कभी होगा. कि कोई देश एक लड़ाई सफलता से जीत जाए. और पूरे 93 हज़ार युद्दबंदी अपने पास रखे. अमेरिका जैसी महाशक्ति ने जितनी लड़ाइयां लड़ीं एक भी सफल करार नहीं दी जा सकती. ज्यादातर जगह उसने तबाही मचाई लेकिन लौट जाना पड़ा. इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश की लड़ाई जीतकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था.

ये वो दौर था, जब पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान की सेना ने आम लोगों की जिंदगी जहन्नुम बना दी थी. पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहया खान ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जनभावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दे दिया था. इसके बाद शेख मुजीद गिरफ्तार कर लिए गए. पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आने लगे.

पाकिस्तान की नापाक हरकतें बढ़ती जा रही थीं. 3 दिसंबर 1971 को इंदिरा कोलकाता में एक जनसभा कर रहीं थी. उसी दिन शाम को पाकिस्तानी वायु सेना के विमानों ने भारतीय वायु सीमा पार कर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के सैनिक हवाई अड्डों पर बमबारी कर दी. इंदिरा ने ठान लिया कि पाकिस्तान को सबक सिखाना है.

और बदल गया पाकिस्तान का भूगोल

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया. सिर्फ 13 दिन में इतिहास की सबसे बड़ी विजय हासिल हुई. 16 दिसंबर को हमारी सेना ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया. इंदिरा ने पाकिस्तान का इतिहास ही नहीं, भूगोल भी बदल दिया. पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया. इंदिरा की पहल पर बांग्लादेश नाम से नया देश बना. जिसके राष्ट्रपति बने शेख मुजिबिल रहमान. उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा को दुर्गा का अवतार तक कहा था.

जब पूरी दुनिया को दिखाई भारत की ताकत

इंदिरा भारत को एक नई महाशक्ति बनाने में जुटी हुई थीं. 18 मई 1974 को इंदिरा ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करवाकर पूरी दुनिया को अपनी ताकत की धमक दिखाई. जिस इंदिरा को ‘गूंगी गुड़िया’ का खिताब मिला था, वो अब ‘द आयरन लेडी’ बन गई थीं.

लॉर्ड स्वराज पाल ने बीबीसी से अपने इंटरव्यू में कहा

इंदिरा गांधी एक महान शख़्सियत थीं लेकिन लोगों को उनके बारे में कुछ ग़लतफ़हमी है. वो भ्रष्टाचार से नफ़रत करती थीं. उन्होंने बहुत ज़ोर लगाया कि भ्रष्टाचार बंद हो मगर व्यवस्था ऐसी हो गई थी कि हिंदुस्तान में कोई भ्रष्टाचार को ख़त्म नहीं करना चाहता था.

इंदिरा गांधी ने अप्रवासी भारतीयों के लिए अर्थव्यवस्था खोली. भारत के उद्योपति और व्यवस्था के लोग नहीं चाहते थे कि अप्रवासी यहां आएं क्योंकि स्थानीय अर्थव्यवस्था कुछ गिने चुने लोगों के हाथों में थी. उन्होंने हिंदुस्तान को पीछे रखा.

1983 में मैंने कहा था कि भारत एकमात्र ऐसा देश था जहां मालिक धनी और कंपनियां ग़रीब हैं, जिसे आप पायेंगे कि आज हो रहा है.

इंदिरा गांधी ने जब अप्रवासियों के लिए अर्थव्यवस्था खोली तब उनके वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी थे. बहुत कुछ हुआ, लेकिन मुझे यह लगता है कि इंदिरा ने जो भारत के लिए किया उसका उन्हें पूरा श्रेय नहीं मिला.