उबर, ओला कैब पर भरोसा यानी मूर्खता, जानिए आजतक की पत्रकार ने कैसे बचाई जान


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मैं दिल्ली एनसीआर में रहती हूं. कामकाजी हूं. मेरे जैसी बहुत सी महिलाएं आने जाने के लिए कैब्स पर निर्भर हैं. कभी उबर तो कभी ओला, और रोजाना की भागदौड़ चलती रहती है. लेकिन जब भी कभी किसी महिला के साथ कैब में कोई घटना घटती है, तब इस भागदौड़ पर ब्रेक सा लग जाता है. जेहन में तुरंत यही खयाल आता है कि ये मेरे साथ भी हो सकता था.
मेरी सहकर्मी के साथ जो हुआ, या हो सकता था, वो खबरों की सुर्खियों में था. इंडिया टुडे डिजिटल की पत्रकार अनन्या भट्टाचार्य ने रात 10.55 पर घर जाने के लिए उबर बुक की. थोड़ी दूर जाने पर सर्विस लेन के सूनसान इलाके में में ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और कहा ‘पेट्रोल खत्म हो गया’. और तब ड्राइवर ने अपने भाई को किसी फोन किया और पेट्रोल लाने को कहा और बताया कि गाड़ी में ‘औरत’ है.

अनन्या को ड्राइवर की भाषा से शक हुआ और उन्होंने तुरंत अपने एक मित्र को फोन किया कि वो आकर वहां से उन्हें पिक कर ले. ड्राइवर को जब इस बात की भनक लगी तो उसने गाड़ी लॉक कर दी और दो लोगों को 5 बार कॉल किया. अच्छा ये हुआ कि किसी और के वहां पहुंचने से पहले ही अनन्या के मित्र वहां पहुंच गए. जब दोनों ने उसे ट्रिप एंड करने के लिए कहा तो ड्राइवर ने आंखें दिखाईं. और मजबूरन अनन्या ने ट्रिप केंसिल की. इसी बीच यूपी पुलिस की एक गाड़ी भी वहां से गुजरी पर उन्होंने भी मामला जानने की जहमत नहीं उठाई. बहरहाल अनन्या के मित्र अगर वहीं नहीं पहुंचते तो उसके साथ भी कोई न कोई अनहोनी हो सकती थी.

लेकिन इस कहानी ने अब दिमाग की बत्तियां जलाने को मजबूर कर दिया है. असल में हम महिलाएं जब उबर में अकेले सफर करती हैं, खासकर ऑफिस खत्म होने के बाद (अंधेरे में), तो हमें बहुत सी बातें गांठ बांधकर चलनी चाहिए.

1. उबर के ड्राइवर बहुत प्रोफेशनल होते हैं
अगर आप सोच रही हैं कि आप उबर जैसी बड़ी और भरोसेमंद कंपनी की कैब में सफर कर रही हैं, और उसके ड्राइवर बेहद प्रोफेशनल होंगे तो प्लीज़ इस गलतफहमी से बाहर निकलिए. उबर के ड्राइवर मुंह में गुटखा या पान दबाए मिल सकते हैं और हां शराब की महक भी आप गाड़ी में सूंघ सकती हैं. आप ड्राइवर से कहेंगी कि आपने शराब पी रखी है तो वो कहेगा ‘नहीं मैडम आपसे पहले जो बैठे थे वो पिए हुए थे’, अब आप क्या कर लेंगी, पर होशियार होने के लिए इतना ही काफी है.

2. उबर की गाड़ी सिर्फ आपके गंतव्यल पर ही रुकती है
देर हो रही है और आप सोच रही हैं कि बस किसी तरह कैब मिल जाए, घर तो मैं पहुंच ही जाउंगी…तो आपको ये समझ लेना होगा कि उबर जैसी प्रोफेशनल कैब का पेट्रोल कभी भी किसी भी सूनसान इलाके में खत्म हो सकता है. और आप अनन्या की तरह रात को बीच रास्ते में फंस सकती हैं. पेट्रोल न भी खत्म हो तो गा़ड़ी में कोई और खराबी भी हो सकती है. फिर वो ड्राइवर किसी भी ‘दोस्त’ ‘भाई’ को पेट्रोल लाने या मदद के इरादे से फोन करके उस जगह पर इनवाइट भी कर सकता है, अब अगर आप लकी हैं, तो आपका कोई दोस्त वहां से आपको पिक कर सकता है, लेकिन अगर आप थोड़ी सी भी अनलकी हुईं तो फिर आपके साथ वही होगा जो वो ड्राइवर और उसके दोस्त और भाई डिसाइड करेंगे.

3. जीपीएस यानी भरोसा
फर्ज कीजिए कि आप किसी ऐसी जगह जा रही हैं जहां का रास्ता आपको मालूम नहीं है, तो आप पूरी तरह से अपने ड्राइवर के जीपीएस पर ही निर्भर हैं. वो इसलिए कि उबर के ड्रावर आपकी बात नहीं सिर्फ जीपीएस की बात सुनते हैं, वो उसी रास्ते पर चलेंगे जहां उनका जीपीएस बताएगा. लेकिन ध्यान रखें कि ड्राइवर के जीपीएस डिवाइस की बैट्री कभी भी धोखा दे सकती है, किसी भी सुनसान जगह पर. और अगर जीपीएस बंद, तो वो वहीं रुक जाएगा, जैसा कि मेरे साथ हुआ था. और इसपर ड्राइवर ने कहा कि ‘अब मैं क्या करूं, मेरा तो डिवाइस बंद हो गया’ (वो तो मैंने हल्ला किया और मुझे रास्ता मालूम था, तो ड्राइवर ने मेरे हिसाब से मुझे घर तक छोड़ा).

4. उबर का कॉल सेंटर आपकी मदद करेगा
अगर आप किसी भी ऐसी परिस्थिति में फंस गई हैं, तो जाहिर है आप उबर को कॉल कर शिकायत करेंगी या मदद मांगेंगी. लेकिन ऐसे में उबर आपकी कोई मदद नहीं करने वाला, क्योंकि उनकी एप्प पर आपको कोई भी इमरजेंसी नंबर ही नहीं मिलेगा जहां आप तुरंत कॉल कर सकें. एप्प पर आप सिवाए टाइपिंग के कुछ नहीं कर सकतीं. अब सोचिए मुसीबत के समय आप टाइपिंग करेंगी या खुद को बचाएंगी. और मजे की बात इतनी परेशानी के बावजूद भी उबर आपसे पैसे वसूलने से पीछे नहीं रहेगा. अनन्या ने जब अपने साथ हुई घटना की शिकायत उबर को की तो 8 घंटों के बाद उबर ने जवाब देने की जहमत उठाई. और लिखा कि वो ‘जल्दी इस इशू को रिसॉल्व करेंगे’. अब सोचिए 8 घंटों में तो क्या से क्या हो जाता है.

5. ड्राइवर के मोबाइल पर भरोसा कर सकते हैं
महिलाएं फोन पूरा चार्ज करने के बाद ही कैब बुक करें. पर वो यहीं गलती करती हैं. पर मेरी सलाह मानिए फोन 100% चार्ज करके ही घर या ऑफिस से बाहर निकलें. क्योंकि जब आप उबर करेंगी आपका जीपीएस भी ऑन रहेगा, और जब जीपीएस ऑन होता है तो बैट्री बहुत तेजी से ड्रेन होती है. अब फर्ज कीजिए आपको 25 या 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी है और आपकी बैटरी भी 25 या 30% ही चार्ज है, तो आप अपने साथ बहुत गलत कर रही हैं. उसपर आपका ऊबर पर भरोसा कि चलो मेरा न सही कैब का जीपीएस तो ऑन होगा. पर अगर ऊपर बताई हुई कोई भी बात आपके साथ घट गई तो आप इतनी सी बैट्री के साथ क्या-क्या कर पाएंगी. एक बार फोन बंद हो गया तो, न तो आप मदद के लिए किसी को कॉल कर पाएंगी, और न ही दूसरी कैब. इसलिए फोन की बैट्री पूरी चार्ज रखें और साथ में पोर्टेबल चार्जर भी हमेशा रखें. और हां, फोन में गाने सुनकर या गेम खेलकर बैट्री वेस्ट करने की गलती कभी न करें.

6. यूपी पुलिस- दक्षता, पारदर्शिता, विश्वसनीयता-
हां, ये कहने में हम महिलाओं को जरा भी शर्म महसूस नहीं होती कि दिल्ली एनसीआर की पुलिस महिलाओं के लिए कुछ भी करती है. हाल ही में एनसीआर में हुई रेप और गैंगरेप की घटनाओं को उठाकर देख लीजिए, सच्चाई कांच की तरह साफ दिखेगी. पुलिस पैट्रोलिंग अगर इतनी ही मुस्तैदी से होती तो शायद गैंगरेप की इतनी घटनाएं दिल्ली और दिल्ली के आसपास न होतीं. अनन्या के साथ जब ये घटना घटी, तब वो भी हाइवे की सर्विस लेन पर ही थीं. वो तो शुक्र है कि उनके मित्र उन्हें लेने आए, लेकिन जब वो दोनों ड्राइवर से ‘trip end’ करने की बात कर रहे थे तो ड्रावर मना कर रहा था और आंखों से ही डरा रहा था. और इतने में ही यूपी पुलिस की गाड़ी वहां से गुजरी, लेकिन पुलिस वालों ने इतनी जहमत भी नहीं उठाई कि रात को सुनसान में एक लड़की क्यों खड़ी हुज्जत कर रही है. यहां पर अनन्या ये भी बताती हैं कि पूरे ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर उन्हें एक भी पुलिस वाला या पुलिस की गाड़ी दिखाई नहीं दी. (ichowk पर पारुल चन्द्रा का लेख)