जस्टिस या की मौत पर इस 10 सवालों के जवाब कौन देगा ? सुप्रीम कोर्ट ने तो इनकार कर दिया

नई दिल्ली : जज लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कह दिया कि इस मामले में दोबारा जांच करने की जरूरत नहीं. चूंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है इसलिए सभी को सम्मान करना होता है लेकिन इसके साथ ही ये दस सवाल अनुत्तरित रह गए हैं. बडा सवाल ये है कि इन सवालों के जवाब कौन देगा. नॉकिंग न्यूज़ ने इन सवालों को पहले ही उठाया था लेकिन आज भी मौजू हैं. आज कांग्रेस प्रवक्ता ने फिर ये सवाल दोहराए.

सोहराबुद्दीन और प्रजापति के केस को 2012 में जजों का ट्रांसफर किया गया था. जज उत्पत का भी ट्रांसफर कर दिया गया था. इन ट्रांसफरों का क्या मालेसे कोई संबंध था?
जज लोया को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत, एक फ्लैट देने की पेशकश की गई थी. आखिर ये प्रलोभन किसलिए दिया गया था?
जज लोया की मौत का हार्ट अटैक से मौत बताया गया था. लेकिन ईसीजी की रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नज़र आया था. क्यों ?
नागपुर में उनकी सुरक्षा को हटा दिया गया था. जबकि वो बहुत अहम मामला देख रहे थे. इसकी वजह क्या थी ?
जज लोया मुंबई से नागपुर ट्रेन के जरिए गए थे. इसकी वजह क्या रही होगी ?
जज लोया के नागपुर रेलभवन में रुकने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला, क्या रिकॉर्ड गायब कर दिया गया?
जिस गेस्ट हाउस में जज लोया रुके हुए थे, वहां कई कमरे थे. लेकिन तीन जज उसी कमरे में ही क्यों रुके हुए थे एक ही कमरे में क्यों रुके. वो एक ही कमरे में रुके थे या एक कमरा दिखाया गया ?
परिवार को जज लोया के कपड़ों में गर्दन के पास खून मिला था. ये खून कहां से आया ?
पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में उनका नाम गलत लिखा गया था. पोस्टमॉर्टम में नाम छिपाने की क्या वजह हो सकती है.
जज लोया की मौत के बाद दो अन्य जजों की भी मौत हुई जिस पर भी कई तरह के सवाल हैं. इन जजों की मौत भी अहम मामलों में ही हुई क्यों ?
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को जवाब चाहिए. जांच से ही सब कुछ स्पष्ट हो पाएगा. लेकिन जज लोया के मामले में अब तक जांच नहीं हुई है. कोई तय नहीं कर सकता कि मौत प्राकृतिक है या नहीं. क्या केवल जजों के बयान के आधार पर अन्य दस्तावेज और संदिग्ध परिस्थितियों को दरकिनार किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि जजों ने 164 CRPC के तहत बयान नहीं दिया, पुलिस को दिया बयान अदालत में मान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि जांच से ही संदेह से पर्दा हट सकता है. जज लोया के मामले को सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाया.

क्या है कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की अपील को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मामले का कोई आधार नहीं है, इसलिए इसमें जांच नहीं होगी. तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है, उनपर संदेह करना संस्थान पर संदेह करने जैसा होगा. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस मामले के लिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन वकीलों ने ये याचिका डाली है, उन्होंने इसके जरिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की है. ये अदालत की आपराधिक अवमानना करने जैसा है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ये याचिका राजनीतिक फायदे और न्यायपालिका की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए किया गया.